MrRandom
Sunday, 18 December 2016
शुरुआत
कभी इत्तेफ़ाक़ न हुआ...
की हम किसी को अपनी दास्तान सुनाएँ!
हमने दूसरों की सुनना बेहतर समझा...
ताकि खुद की भूल जाएँ !!
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